कोरोना काल में बढ़ी हैं लोगों की मानसिक परेशानियां

कोरोना काल में बढ़ी हैं लोगों की मानसिक परेशानियां

कोरोना महामारी ने हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के अलावा जिस चीज़ पर सबसे बुरा असर डाला है वो है हमारा मानसिक स्वास्थ्य। बीमारी का डर, इसके इलाज को लेकर फैली भ्रांतियां और लोगों के बिगड़ते आर्थिक हालात लोगों की मुश्किलों में लगातार इज़ाफा कर रहे हैं।

कोरोना महामारी के चलते हाल ही में लाखों लोगों ने अपने परिजनों, साथ काम करने वालों। और बचपन के संगी साथियों को गंवा दिया। मौत की यह लहर जिसे कोविड-19 का दूसरी वेव भी कहा गया, न सिर्फ लाखों लोगों के लिए जानलेवा साबित हुई बल्कि ज़िंदा बच गए लोगों के जीवन में ज़िंदगी भर के लिए एक ख़ालीपन भी छोड़ गई।

कोरोना महामारी के चलते हाल ही में लाखों लोगों ने अपने परिजनों, साथ काम करने वालों, और बचपन के संगी साथियों को गंवा दिया। मौत की यह लहर जिसे कोविड-19 का दूसरी वेव भी कहा गया, न सिर्फ लाखों लोगों के लिए जानलेवा साबित हुई बल्कि ज़िंदा बच गए लोगों के जीवन में ज़िंदगी भर के लिए एक ख़ालीपन भी छोड़ गई। हाल के दिनों में देश भर में कोरोना संक्रमण के फैलने की रफ्तार धीमी ज़रुर पड़ी है लेकिन ख़तरा अभी टला नहीं है।

कोरोना महामारी का असर हमारे दैनिक जीवन, काम करने के तरीक़ों और सामाजिक रिश्तों पर तो पड़ा ही है, इस वायरस ने हमारे ज़िंदगी जीने के तरीक़े को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। विशेषज्ञ शुरु से ही इस संक्रमण से बचने लिए हमें लोगों से थोड़ी दूरी बना कर रखने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन अब यह दूरी सिर्फ शारिरिक नहीं बल्कि अपने अपनों के साथ सामाजिक फासलों में भी तब्दील हो रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक़ घरों में अकेले रहने और लोगों से मेलजोल कम होने के अलावा बीमारी का ख़ौफ औऱ आर्थिक चिंताएं लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही रही हैं। आर्थिक मामलों पर नज़र रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक़ सिर्फ अप्रैल 2021 में ही तक़रीबन साढ़े तिहत्तर लाख (73.5) भारतीयों में अपनी नौकरी गंवाई। लाखों छोटे दुकानदार कारोबार बंद होने की वजह से बदहाली के कगार पर आ गए, जबकि अन्य लाखों लोग क़र्ज़ के मकड़जाल में उलझ गए। ज़ाहिर है इस सबके चलते लोगों में मानसिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां बढ़ रही हैं।

जो लोग इस बीमारी की ज़द में आकर ठीक हो चुके हैं उनकी अलग परेशानियां हैं। ऐसे तमाम  लोग नींद न आने, अवसाद, दौरा, आत्महत्या के विचार आने, काम में मन न लगने, काम छोड़ देने और अब कुछ न करने जैसे विचारों से पीड़ित हैं। राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान यानी निमहंस ने मानसिक तनाव झेल रहे लोगों के लिए एक हेल्पलाइन 080-4611 0007 चला रखी है। निमहंस का कहना है कि सिर्फ बेंगलुरु में ही उसे रोज़ाना 500 से ज़्यादा काल आते हैं। तमाम क्षेत्रों से जुड़े लोग उनसे गंभीर परेशानियां साझा कर रहे हैं।

Share

Leave a Reply